बीएम राठौर
सांगोद 13 मार्च सोमवार को राजसी संस्कृति को साकार करते निकली न्हाण खाड़ा अखाड़ा चौबे पाड़ा की बादशाह की सवारी के साथ सांगोद के पांच दिवसीय लोकोत्सव का समापन हुआ। बादशाह की सवारी देखने हर बार की तरह लोगों का सैलाब उमड़ा। सवारी के मार्ग गायत्री चौराहा से खाड़ा स्थल तक लोगों की भीड़ रही। सवारी मार्ग पर पैर रखने तक की जगह लोगों को नहीं मिली। मकानों व दुकानों की छतें भी लोगों की भीड़ से अटी रही। सजे धजे अश्वों पर सवार राजसी परिधानों में सजे उमरावों के साथ निकली बादशाह की सवारी में परम्परागत स्वांगों के साथ नए स्वांगों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शाम पांच बजे बपावर रोड स्थित गायत्री चौराहा से शुरू हुई बादशाह की सवारी गांधी चौराहा, तहसील बाजार, पुराना बाजार व गढ़ चौक होते हुए खाड़ा स्थल पहुंची। जहां पूजा अर्चना के साथ न्हाण लोकोत्सव का समापन हुआ। वहीं सवारी के दौरान कई क्विंटल सेव-जलेबी भी एक दिन में बिक गए। एहतियात के तौर पर सवारी मार्ग के चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात रहे। कोटा ग्रामीण पुलिस अधीक्षक कावेंद्र सिंह सागर समेत एसडीएम दिव्यराज सिंह, पुलिस उपअधीक्षक रामेश्वर परिहार समेत अन्य कई थानों के अधिकारी भी मौजूद रहे। बादशाह की सवारी के पूर्व सोमवार तड़के भवानी की सवारी में लोग मंत्रमुग्ध होकर फूलों की आकर्षक सजावट से सजी देवी देवताओं की जीवंत झांकियों को एकटक निहारते रहे। बैण्डबाजे पर बजती परम्परागत धुनों के बीच निकले देव विमानों को देख ऐसा लगा जैसे स्वर्ग के देवता धरती पर भ्रमण करने निकले हो। सवारी देखने आसपास के गांवों के लोग भी टै्रक्टर ट्रोलियों व अन्य साधनों से सांगोद पहुंचे।
यहां खाड़ा परिसर में रविवार रात सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों व किन्नरों ने लोकगीतों पर नृत्यों की प्रस्तुति से रातभर लोगों को बांधे रखा। मध्यरात्रि बाद चाचा बोहरा की सवारी खाड़ा स्थल पहुंची। चाचा बोहरा बने पप्पू सेन ने अपने अंदाज में लोगों का मनोरंजन किया। यहां चाचा बोहरा की किन्नर से शादी के प्रसंग मंचन में लोगों ने जमकर ठुमके लगाए। पूरी रात यहां खाड़ा परिसर लोगों की भीड़ से अटा रहा।बादशाह की सवारी में परम्परागत स्वांगों के साथ नए स्वांग भी आकर्षण का केन्द्र रहे। कुंभ स्नान को जाते ओघड़, स्वतंत्रता सैनानी, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, शंकर-पार्वती व कोढ़े मारती चुड़ेल, डाकू, मथरा मथरी, शूरवीर जैसे स्वांग भीड़ को हटाने के लिए झाडू मारते युवकों के साथ पारम्परिक लोकगीतों पर नृत्य करते युवकों के स्वांग रहे। बाादशाह बने अनिल चतुर्वेदी को परंपरानुसार हाथी पर भ्रमण करवाया गया।